समय रुकता नहीं । इसलिए समय पर ही काम करना चाहिये । कल पर कोई काम नहीं छोड़ना चाहिये ।
कौरव पांडवों के युद्ध में पांडव विजयी हुए थे । युधिष्ठिर ने राजगद्दी सम्भाली थी । युधिष्ठिर बहुत न्यायप्रिय राजा थे । उन्होंने अपने महल के सामने एक घण्टा लगा रखा था । उस घण्टे की रस्सी महल के द्वार पर लटकी रहती थी । महल के बाहर से रस्सी हिलाकर कोई भी व्यक्ति घण्टी बजाकर राजा को खबर दे सकता था । राजा उसकी बात सुनकर न्याय करते थे । एक दिन एक गरीब आदमी ने घण्टा बजाया । उस दिन महाराज युधिष्ठिर को बहुत काम थे । उन्होंने नकुल से कहा , “ उस व्यक्ति से कह दो कि कल आये । "
भीम ने युधिष्ठिर की बात सुन ली । वे तुरंत महल के द्वार पर गये और घण्टा बजा लगे । युधिष्ठिर ने मंत्री से कहा , " कौन इतनी जोरों से घण्टा बजा रहा है ? " मंत्री ने लौटकर बताया , " महाराज , महाबली भीम घण्टा बजा रहे हैं । " तब युधिष्ठिर ने भीम के पास जाकर पूछा , " तुम्हें क्या हो गया है ? ऐसा कौन सा संकट आ पड़ा है ? " भीम ने कहा , " दादा , मैं बहुत प्रसन्न हूँ । आपने तो आज समय पर भी विजय पा ली है । " युधिष्ठिर आश्चर्य में पड़ गये । वे कहने लगे , " भीम , तुम कैसी बातें करते हो ? समय को भी क्या कोई जीत सका है ? "
भीम ने इस पर कहा , " दादा , आपने उस गरीब को कल आने के लिए सूचना भिजवाई है । क्या आप निश्चित रूप से कह सकते हैं कि कल का दिन आप या वह गरीब देख सकेगा ? समय तो निकलता ही जाता है । जो काम इसी समय हो जाये , वह अच्छा रहेगा । "
महाराज युधिष्ठिर भीम की बात से बहुत प्रसन्न हुए । उन्होंने उस गरीब आदमी को तत्काल बुलवाया । । उन्होंने उसकी बात सुनी और उसे न्याय दिया ।
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