हमें कोई भी काम बिना सोचे समझे नहीं करना चाहिये । बिना सोचे समझे काम करने पर कभी - कभी परिणाम बहुत हानिकर होता है ।
मणिभद्र सेठ निर्धन हो गये थे । वे बहुत अच्छे आचरण वाले सेठ थे । पर दुर्भाग्य से उनकी सम्पत्ति जाती रही । गरीबी के कारण उन्हें बहुत कष्ट होने लगा । एक रात्रि वे चिंता ही में सो गये । धन के देवता ने उनसे स्वप्न में कहा कि मैं एक बौद्ध भिक्षु के रूप में तुम्हारे पास आऊँगा । तुम मेरे सिर पर डंडा मारोगे , तो मैं सोने का हो जाऊँगा।
सेठ के यहाँ सबेरे एक नाई आया । उसी के सामने सेठ के यहाँ बौद्ध भिक्षु भी आ पहुँचा । सेठ ने ज्योहि उसके सिर पर डंडा मारा , त्योंहि वह सोने का हो गया । सेठ ने नाई को कुछ रुपया देकर कहा कि यह हाल किसी से न कहना । नाई ने समझा कि सब भिक्षुओं का यही हाल होता होगा । इससे उसने दूसरे दिन सबेरे कई भिक्षुओं को अपने यहाँ निमंत्रित किया । जब वे भोजन करने आये , तो उसने उनके सिर पर डंडा मारा । भिक्षुओं के सिर फूट गये । वे बेचारे पुलिस थाने में रिपोर्ट करने गये , जिससे पुलिस वाले नाई को पकड़ ले गये और उसको सजा हुई ।
कहते हैं कि बिना ठीक तरह से देखे , सुने या सोचे - समझे कोई काम नहीं करना चाहिये । ऐसा काम करने वाले लोगों पर सारा संसार हँसता है ।
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