हमारे देश को स्वतंत्रता अनेक बलिदान , त्याग एवं लम्बे संघर्ष के बाद मिली है । हमें अपनी स्वतंत्रता सतत बनाये रखना है । इस हेतु चाहे हमें कितने ही कष्ट क्यों न झेलने पड़ें ।
एक दिन एक भूखे भेड़िये को सड़क पर एक मोटा ताजा कुत्ता मिला । भेड़िया उससे बातें करने लगा । उसने कहा , " मित्र कुत्ते , तुम्हारा जीवन बड़ा सुखमय मालूम होता है । तुम कितने मोटे - ताजे हो । कुत्ता बोला , " हाँ भाई , मेरी जिन्दगी मजे में कट रही है । कोई विशेष काम नहीं करना पड़ता । अपने मालिक के मकान की रखवाली किया करता हूँ और बदले में मुझे तीन बार भोजन तथा रात को सोने के लिए अच्छा बिस्तर मिल जाता है । "
भेड़िये ने दुःख की साँस छोड़कर कहा , " हाँ भाई , तुम बड़े सुखी हो । कहीं मुझे भी ऐसा सुख मिलता । मेरी भूख के कारण हड्डी - हड्डी दिखने लगी है । " कुत्ते ने सहानुभूति से कहा , " तो आओ मेरे साथ । मेरे जैसे ही अगर तुम यहाँ रहो , तो तुम्हें सभी प्रकार के सुख मिलेंगे । "
दोनों में इस प्रकार समझौता हो गया और कुत्ता भेड़िया को लेकर अपने मालिक के मकान की ओर चला । चलते - चलते भेड़िये ने देखा कि कुत्ते की गर्दन के बाल चारों ओर से गिर गये हैं । उसने पूछा , " मित्र इन बालों के गिर जाने का क्या कारण है ? "
कुत्ते ने लापरवाही से कहा , " कुछ नहीं , ये बाल तो गर्दन के पट्टे से घिसने के कारण निकल गये हैं । मेरे गले में पट्टा डालकर मालिक मुझे जंजीर से बाँध देता है । "
भेड़िया रुक गया बोला , " दोस्त , तो मैं नहीं जा सकता । भोजन और आराम के लिए यदि गले में पट्टा बैंधवाना पड़े और जंजीर में बंधा रहना पड़े , तो ऐसे सुख को दूर से ही नमस्कार है । भूख से चाहे मेरी हड्डियाँ निकल आवें , पर मैं ऐसी गुलामी की जिन्दगी स्वीकार नहीं करूंगा । स्वतंत्रता की सूखी रोटी गुलामी के ऐशो आराम से बढ़कर है । " भेड़िया कुत्ते को छोड़कर जंगल की ओर चला गया ।
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