किसी कार्य को करने के लिए जब अवसर मिले , तो उसे उसी समय करना चाहिये । अवसर चूक जाने पर वह कार्य कभी नहीं होता । कहा भी गया है , अब पछताए होत क्या , जब चिड़िया चुग गई खेत
एक दिन एक भेड़िये ने एक कुत्ते को अपने मालिक के मकान के दरवाजे के बाहर सोता पाया और उसे पकड़ने के लिए झपटा ।
कुत्ता बोला , " महाशय , आज मुझे छोड़ दें । मैं अभी इतना दुबला हूँ कि तुम्हारा पूरा भोजन भी नहीं हो सकता । एक - दो दिन में इस घर में शादी होने वाली है । तब पकवान बनेंगे और उन पकवानों को खाकर मैं मुटा जाऊँगा । उस समय तुम मुझे खा लेना ।"
भेड़िये ने कुत्ते की बात मान ली और उसे छोड़ दिया । कुछ दिनों बाद भेड़िया वहाँ से दुबारा निकला , तो उसे कुत्ते के वायदे की याद आई । उसने झाँककर देखा कि कुत्ता दरवाजे के भीतर कमरे में लेटा हुआ है ।
भेड़िये की भीतर जाने की हिम्मत तो हुई नहीं । वह बाहर से ही चिल्लाया , " ऐ कुत्ते ! अब अपना वायदा पूरा कर । मैं आ गया हूँ । जल्दी आ ताकि मैं तुझे खा सकूँ ।
कुत्ते ने वहीं से कहा , " दोस्त , अब कभी तुम मुझे दरवाजे के बाहर सोता पाओ , तो शादी के लिए मत ठहरना । " भेड़िया पछताता रह गया ।
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