पटना
पटना का इतिहास देश के गौरवशाली इतिहासों में एक है । यहां सैलानियों के देखने के लिए बहुत कुछ है । किले , महल , बाग - बगीचे , मंदिर , मस्जिद , संग्रहालय आगंतुकों को खूब लुभाते हैं । पटना संग्रहालय में प्रथम विश्व युद्ध के हथियारों , मौर्य और गुप्तकाल की धातु - पत्थर की बनी प्रतिमाओं और प्राचीन मिट्टी के बने शिल्प आदि को संजोकर रखा गया है । संग्रहालय में एक 16 मीटर लंबे पेड़ का अवशेष भी इसकी विशेषताओं में से एक है । पत्थर की मस्जिद गंगा के किनारे स्थित है । यह मस्जिद पुराने अफगान शैली में बनाई गई थी । खुदाबक्श ओरिएंटल लाइब्रेरी भारत के मान्यता प्राप्त पुस्तकालयों में से एक है । अशोक राजपथ पर स्थित इस लाइब्रेरी में अरबी और फारसी भाषा की हस्तलिखित पुस्तकें , राजपूत - मुगलों की पेंटिंग्स , कोरडोबा विश्वविद्यालय की नई - पुरानी किताबों आदि का संग्रह है । सदाकत आश्रम में भारत के पहले राष्ट्रपति डा . राजेंद्र प्रसाद ने रिटायरमेंट के बाद यहीं पर अपने रहने का ठिकाना बनाया था । तभी से यह आश्रम राष्ट्रीय विश्वविद्यालय बिहार विद्यापीठ के मुख्यालय के रूप में स्थापित है । अगम कुआं बिहार के सबसे ऐतिहासिक और पुरातात्विक अवशेषों में से एक है । इस कुएं की गहराई का आज तक किसी को पता नहीं है । स्मृति स्मारक भारत छोड़ो आंदोलन में मारे गए शहीदों की याद में बनाया गया है । आधुनिक तारामंडल केंद्र - पटना की वेली रोड पर स्थित यह एशिया का सबसे बड़ा तारामंडल है । सबसे ज्यादा पर्यटक यहीं जाना पसंद करते हैं । इसके अलावा यहां एशिया का सबसे लंबा रोड वे ब्रिज , गांधी सेतु है । यहां पादरी की हवेली , ( जहां मदर टेरेसा ने शिक्षा ली थी ) संजय गांधी बायोलोजिकल पार्क , हरमिंदर तख्त , नवाब शाहिद का मकबरा सहित अन्य पर्यटक स्थल हैं ।
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